नई दिल्ली : एससी एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए संशोधन को पलटने के बाद बीजेपी को समझने की नाराजगी झेलनी पड़ी, जिसका असर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव में देखने को मिला। इन तीनों राज्यों में नोटा ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने का काम किया। वहीं जानकारों की मानें तो नोटा का इस्तेमाल सबसे ज्यादा सवर्णों द्वारा किया गया। इन तीन राज्यों में मिली हार से सबक लेते हुए अब बीजेपी ने चुनाव से पहले बड़ा कदम उठाया है। मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण दिए जाने का ऐलान किया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मोदी कैबिनेट ने सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 परसेंट आरक्षण दिए जाने का बड़ा कदम उठाया है, जिनका लाभ सवर्णों को सरकारी नौकरी और शिक्षा में मिलेगा। इसके साथ ही आरक्षण का कोटा अब 50 से बढ़कर 60 फीसदी हो जाएगा। इसके लिए संविधान संशोधन बिल लाया जाएगा। नए फैसले के बाद जाट, गुज्जरों, मराठों और अन्य सवर्ण जातियों को भी आरक्षण का रास्ता साफ हो जाएगा बशर्ते वो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में आते हों।
इस पर सियासी प्रतिक्रयाओं का दौर भी शुरू हो गया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि पहले जाति आधारित जनगणना की जाए। फिर जाति के हिसाब से आरक्षण तय किया जाए। वहीं, शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि बिल पेश होने पर ही इस पर हमाला फैसला सामने आ जाएगा।
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