तौक़ीर रज़ा की रिपोर्ट :
कटिहार : कोढ़ा प्रखण्ड के कोलासी मधुरा गांव में मोहर्रम त्यौहार बड़े ही हर्षोउल्लाह के साथ मनाया जा रहा है। गौरतलब है की मोहर्रम की आठ तारीख को सभी इमामबाड़े को बड़े ही शान के साथ सजाया गया, फिर सभी लोग अपने अपने घरों से मिठाई सहरा फूल ला कर चढ़ावा करते हैं और फिर मुल्क की अमनो सलामती की दुआ मांगी जाती है। फिर नवीं तारीख की रात दस बजे मोहम्मद मिस्टर दर्जी के देख रेख में अहमद मियां के आंगन में एक महफ़िल सजाई जाती है। एक बड़े लिशान को आंगन में दो लोग मिल कर पकड़े हुए होते हैं। मौजूद सभी लोग ढोल और बिंजु की धुन में मग्न हो कर एक व्यक्ति के हाथों में दो पगड़ी बांधी जाती है। लोग कहते हैं कि यह पगड़ी इमामे हुसैन और इमामे हसन की पगड़ी बांधी जाती है। फिर देखते देखते मोहम्मद अहमद के भाई मोहम्मद बदरुद्दीन के शरीर पर कुछ सवार हो जाता है।
इस पर खुलासा करते हुए मुहम्मद मिस्टर ने बताया कि हमारे पूर्वजों इन के शरीर पर सवार होते हैं। जो भी लोग यहां आ कर अपनी मिन्नतें मांगते हैं, वह पूरी होती है। उसे यहां पर चावल में फूंक मार कर खिलाया जाता है और यहां मांगने वालों की मुराद पूरी होती है। इसलिए यह महफ़िल कई सालों से हमारे पूर्वजों दुवारा सजाया जाता था। फिर हम सब लोग इस तरह की महफ़िल सजाते हैं।
हर वर्ष मोहर्रम की नो तारीख की रात को यह महफ़िल सजाई जाती है। सैकड़ों की संख्यां में पुरुष और महिलाएं आती हैं। महिलाएं अपने आँचल को फैला कर कोई सेहत मांगती है तो कोई बेटा मांगती है। इस लिए दूर दराज से लोग यहां आ कर मिन्नतें माँगते हैं। स्थानीय ग्रामीण अब्दुल सत्तार कहते हैं ‘जो भी यहां आ कर अपनी मुराद मांगते हैं उसे एक वर्ष के अंदर मिल जाती है।’
सनद रहे की जब आप यहां के वीडियो से रूबरू होंगे तो शायद आपको महसूस होगा कि खुदा कहता है जो भी मांगना है मुझ से मांगो। अगर मेरे अलावा किसी से भी मांगोगे तो तुम्हारा ईमान खतरे में आ जायेगा और तुम मुस्लमान नहीं हो सकते। यहां पर हर वर्ष इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और बदरुद्दीन के शरीर पर कुछ उतरता है। उसी से मांगने वालो की बड़ी संख्यां में भीड़ लगी रहती है
आपको बताते चलें कि मोहर्रम की दस तारीख को यहां के नोजवान कमिटी की ओर से मस्जिद में शहीदे आज़म के नाम से एक जलसा का आयोजन किया जिस में मौलाना अहसन रज़ा व मौलाना मसऊद रज़ा व हाफिज शाहजहां ने इमामे हुसैन की शहादत पर बेहतरीन तक़रीर कर लोगों की ईमान में ताजगी पैदा कर दिया। इमामे हुसैन नाना जान के दिन की खातिर अपने और आने खानदान वालों को मैदाने कर्बला में शहीद कर दिने इस्लाम को बचा लिया। उक्त मौके पर मधुरा के नोजवानों ने हुसैन के नाम पर लोगों को शर्बत पिलाया और कौमी एकता का परिचय दे कर मुल्क की तरक़्क़ी और अमनो सलामती की दुआ की गई।
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