लखनऊ : यूपी के जनपद देवरिया के बालिका गृह में बच्चियों के साथ हुए कथित यौन शोषण को लेकर हुए खुलासे ने सरकार और प्रशासन की नींद उड़ा दी है। इस मामले में सरकार के तरफ से ताबड़तोड़ कार्यवाही जारी है। वहीँ अब तक बालिका गृह से लापता हुई लड़कियों का कोई सुराग हाथ नहीं लगा है, जबकि 48 घंटे बीत चुके हैं। अब आशंका ये भी जताई जा रही है कि सरकारी फंड हड़पने की मंशा से संस्था संचालिका ने कागज में लड़कियों के फर्जी आंकड़े पेश किए थे, मगर अब वही उसकी गले की फांस साबित हो रहा है।
मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान के अंतर्गत संचालित बालगृह बालिका, नारी संरक्षण गृह में 42 लड़कियों के होने की सूची संचालिका ने करीब एक पखवाड़ा पहले डीएम को सौंपी थी। छापामारी के दौरान यहां सिर्फ 24 मिले हैं। शेष 18 का पता नहीं है। संस्था से जुड़े लोगों का कहना है कि पूर्व में सौंपी गई सूची के बाद कुछ लड़कियां अपने घरों को भी चली गई। हालांकि वह इस संबंध में अब तक कोई साक्ष्य उपलब्ध कराने में नाकाम हैं।
पुलिस की पूछताछ में भी कुछ पता नहीं चल रहा है। बताते हैं कि शासन की ओर से संस्था को फंड वहां रहने वाली लड़कियों की संख्या के आधार पर मिलता था। अधिक फंड मिले, इसलिए लड़कियों की संख्या बढ़ाकर दिखाई गई थी। कई ऐसे नाम भी जोड़ दिए गए थे, जो पहले ही घर को जा चुकी हैं या काल्पनिक है। यह जालसाजी ही संचालिका को भारी पड़ रही है।
इस संबंध में एसपी रोहन पी कनय का कहना था कि जांच से पता चला है कि कुछ लड़कियों को कोर्ट के जरिए उनके परिवारीजनों को भी सौंपा गया है। हालांकि दोनों सूची से मिलान कर लापता लड़कियों की तलाश की जा रही है। संचालिका ने अपनी सूची में 42 लड़कियां दिखाईं हैं तो उन्हें खुद इसका ब्योरा देना होगा।