रामकृष्ण पांडेय की रिपोर्ट :
भदोही : डीघ क्षेत्र के बेरवां पहाड़पुर में पं.जयप्रकाश पाण्डेय के यहां चल रहे श्रीमद भागवत कथा में पांचवें दिन उपस्थित भक्तों को कथा श्रवण कराते हुए भागवत वक्ता पं.दयाशंकर महाराज ने भगवान के प्राकट्य पर गोकुल में मनाए गए नंद उत्सव का वर्णन किया और बताया कि गोकुल कोई स्थान विशेष का नाम नहीं है। गोकुल तो जीव मात्र का शरीर ही है। जब इस गोकुल रूपी शरीर में भगवान का आगमन हो जाता है तो जीव के जीवन में आनंद ही आनंद हो जाता है। जीव तब तक ही दुखी रहता है जब तक उसे परमात्मा के स्वरूप का दर्शन न हो जाए और जब वह हो जाता है तो सभी कष्ट स्वतः ही समाप्त हो जाते है।
व्यासपीठ से महाराज ने बताया कि जीवन में जब पाप या अविद्या आती है, तो सुंदर स्वरूप लेकर आती है। परंतु स्वभाव उसका सुंदर नहीं होता उससे दृष्टि मिलाना भी नही चाहिए। पूतना उद्धार की कथा को सुनाते हुए बताया कि पूतना तो पाप का ही रुप है परंतु सुंदर ग्वालन बनकर आती परंतु भगवान ने उसको देखते ही नेत्र बंद कर दिए और लीला करते हुए उसका उद्धार कर दिया। जिन्हें भगवान का स्पर्श या सानिध्य प्राप्त हो, उसके सारे पाप जलकर भस्म हो जाते है।
गोवर्धन लीला कथा सुनाते हुए बताया कि आत्मा रूपी भगवान जब तक इस गोवर्धन रूपी शरीर को उठाए है तब तक सब कुछ ठीक है और जैसे ही भगवान इस गोवर्धन रूपी शरीर का त्याग करते है वैसे ही यह शरीर मृत हो जाता है। अतः जब तक भगवान इसे उठाए बैठे है हम सभी को सुरक्षा और आनंद लेना चाहिए। कहा कि ज्ञान और भक्ति के बिना मानव जीवन अधूरा है, उन्होंने श्रोताओं का ध्यानाकर्षित करते हुये कहा कि गौ की सेवा सबसे बड़ी सेवा है इसकी रक्षा करना हमारा सबसे बड़ा धर्म है। कथा श्रवण करने वालों में प्रमुख रूप से राजकुमार पाण्डेय, अरविन्द पाण्डेय, गोपाल नारायण, धीरेन्द्र पाण्डेय, देवेन्द्र, संतोष, चन्द्रावती देवी, उर्मिला देवी, गिरीश पाण्डेय सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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