सुनील विश्राम की रिपोर्ट :
चंदौली : इस बदलते परिवेश में परंपरागत तरीके से हटकर नई तकनीक व विधि से खेती कर युवा किसान जनपद के अन्य किसानों के लिए आदर्श बन गए है। बता दें कि धानापुर विकासखंड के नौली गांव में पेशगी पर 10 बीघा खेत लेकर शिमला मिर्च, खरबुज, खीरा, भिंडी ,सहित अन्य सब्जियों की खेती आधुनिक मल्चिंग विधि से कर लागत के अनुपात में 10 से 90 गुना ज्यादा उपज ले रहे हैं । इसमें रासायनिक उर्वरक की जगह RCM की हरित संजीवनी नामक जैविक खाद का ही प्रयोग हो रहा है, जिसके चलते यह सब्जियां केमिकल रहित होती हैं और इन के सेवन से कोई हानि शरीर को नहीं पहुंचती।
शिक्षा में पारंगत डबल एमए कर चकिया विकासखंड के फिरोजपुर गांव निवासी अनिल मौर्य रोजगार न मिलने से काफी परेशान थे। तभी वह कृषि वैज्ञानिकों के संपर्क में आए और वैज्ञानिकों से मिले परामर्श के अनुसार कृषि को अपना रोजगार बनाया। जिसके लिए उन्होंने अपने गांव से 70 किलोमीटर दूर नौली गांव में 10 बीघा खेत पेशगी पर लिया और उसमें मल्चिंग विधि से सब्जियों की खेती प्रारंभ की। इस समय टमाटर, मिर्च, खीरा, बैंगन, खरबूज, शिमला मिर्च की खेती की। उन्होंने अपने हुनर का लोहा मनवाते हुए ठंडे प्रदेश में उगने वाले शिमला मिर्च को जिले में उपजा कर व्यापक पैमाने पर धनार्जन भी किया। यही नहीं इन दिनों युवा कृषक अनिल का फार्म मुस्कान के बेतहाशा खुशबू से महक रहा है
आपको बता दें कि यह मुस्कान और कोई नहीं बल्कि ताईवानी खरबूज की सबसे उत्तम प्रजाति है, जिसकी मिठास इतनी कि चीनी भी मुस्कान के आगे शर्मा जाए। इसका रंग रूप और आकार इतना मनमोहक है कि इस पर किसी का भी दिल आ जाएगा। ताइवान के इस मुस्कान प्रजाति के खरबूज की जिले के मंडियों में खूब मांग है।
अनिल मौर्य के सहयोगी किसान बृजेश मौर्य ने बताया कि ताइवान की बीज कंपनी क्लोविन से ऑनलाइन ‘मुस्कान’ का बीज मंगा कर दो एकड़ में 12000 पौधे लगाए गए थे, जिनमें अब 6 से 8 की संख्या में फल लगने प्रारंभ हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से चार से पांच फल ही पूर्ण रूप से विकसित हो पाते हैं, जिनका अनुमानित वजन 2 किलो के लगभग होता है। यह माना जा रहा है कि सब ठीक-ठाक रहा तो यह खरबूज 300 कुंटल प्रति एकड़ तक उपज दे सकता है।
आधुनिक मल्चिंग से उगाई गई सब्जियां और तरबूज पर किसी प्रकार के रासायनिक उर्वरकों या कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, बल्कि यह पूर्ण रूप से RCM की हरित संजीवनी जैविक खाद से ही उगाई जाती है, जिससे सब्जियों में रसायन नहीं होता। इतना ही नही कीट पतंगों से बचाव के लिए क्रॉप गार्ड को इस्तेमाल में लाया जाता है। इन प्रगतिशील किसानों ने इस जलवायु में जहां शिमला मिर्च का बेहतर उत्पादन किया तो ताईवानी खरबूज मुस्कान के साथ ही एक और नया प्रयोग भी किया है। इन्होंने थाईलैंड से प्रेरणा प्रजाति की प्याज के डेमो का रोपण किया था, जो अब अपना जलवा बिखेरने को तैयार है। जब इस प्याज की खुदाई की गई तो इसको देख किसानों के चेहरे खिल गए। बता दें कि इस प्रजाति की एक प्याज का वजन 300 ग्राम के आसपास है। अब किसान अगले वर्ष इस प्याज की खेती बड़े पैमाने पर करने की तैयारी कर रहे हैं।
आज के इस अत्याधुनिक परिवेश में युवा शहरों की चकाचौध की तरफ अपना रुख कर भविष्य सँवारने और सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने के लिए गांव से दूर भागता है जबकि यह युवा प्रगतिशील किसान गांव में ही अपना भविष्य सुधारने व कामयाबी की ऊंचाइयों पर पहुंचने का बीड़ा उठाए हुए हैं। जो इस कृषि प्रधान जनपद की अन्य किसानों के लिए नजीर है।
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