नई दिल्ली : और एक बार फिर बची-खुची आया भी धरी की धरी रह गयी, आडवाणी की। अभी कल तक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम के तौर पर आडवाणी का नाम ज़ोर-शोर स उछाला जा रहा था। कई लोग तो ये तय मान कर चल रहे थे कि लाल कृष्ण आडवाणी ही देश के अगले राष्ट्रपति होंगे, लेकिन वहीँ हुआ जिसका कयास राजनीति के धुरंधर लगा रहे थे कि इस पद के लिए मोदी किसी चौकाने वाले नाम को आगे कर सकते हैं। न तो मीडिया ने, न विपक्ष ने और न हीं राजनीति के धुरंधरों ने, रामनाथ कोविंद के नाम को लेकर किसी ने भी अटकलें तक नहीं लगाई, लेकिन नियति देखिये कि आज वहीँ रामनाथ कोविंद बीजेपी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं और आडवाणी एक बार फिर वेटिंग रह गए।
जाहिर है, रामनाथ कोविंद के नाम का एलान राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी द्वारा होने के बाद आडवानी गुट को गहरा धक्का लगा होगा, लेकिन कई लोग इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि आडवानी को पीएम मोदी राष्ट्रपति का कार्यभार नहीं सौपेंगे, हालाँकि ऐसे लोगों ने भी रामनाथ कोविंद के नाम के बारे में नहीं सोचा था। बहरहाल अब जब पीएम मोदी ने दलित कार्ड चल दिया है तो देखने वाली बात ये होगी एक दलित चेहरे को राष्ट्रपति के पद पर आसीन करने में बीजेपी को किन-किन दलों का साथ मिलता है। यहाँ आपको बता दें कि रामनाथ कोविंद दलित चेहरा होने के साथ-साथ बिहार के वर्तमान राज्यपाल हैं और पार्टी की तरफ से कई संवैधानिक पदों को सुशोभित कर चुके हैं। यूपी के कानपूर के रहने वाले हैं और विवादों से उनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है, ऐसे में विपक्ष के लिए इस नाम का विरोध करना आसन नहीं होगा, वो भी तब जब कई पार्टियाँ दलितों का नाम लेकर चल रही हो। तो नज़रें जमा के रखिये, क्योंकि राजनीति में आगे और भी बहुत कुछ मजेदार होने वाला है।
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