राघवेंद्र तिवारी की रिपोर्ट :
लखनऊ : डीएम की फटकार के बाद भी पशुचर जमीनों से अवैध कब्जा खाली कराने में मोहनलालगंज तहसील प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। लिहाजा निराश्रित पशु आश्रय केन्द्र निर्माण के लिए आधा दर्जन गांवों में अब तक पशुचर जमीनें चिन्हित नही हो सकी हैं। उधर निशानदेही के अभाव में आधा दर्जन से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों का निर्माण भी अब तक नहीं शुरु हो सका है।
किसानों को आवारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकार ने पंचायतों में निराश्रित पशु आश्रय केन्द्र निर्माण का अभियान चला रखा है। लेकिन जिला प्रशासन की सख्ती के बावजूद राजधानी के मोहनलालगंज ब्लाक में ही अवैध कब्जों की भरमार से पंचायतों को पशुचर जमीनें खाली कराने में लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं। आलम यह है कि गौरा ,रघुनाथ खेड़ा ,डलौना ,मऊ ,दहियर ,रायभानखेड़ा ,करोरा ,शिवढ़रा ,इन्द्रजीतखेड़ा ,कनकहा ,गढ़ी मेंहदौली समेत कई गांवों में अब तक पशुचर जमीनें अवैध कब्जा मुक्त नही कराई जा सकी है।
शिवढ़रा में तो राजस्वकर्मियों ने तकरीबन बीस बीघे से अधिक पशुचर भूमि में से महज चार बीघे जमीन बताकर पल्ला झाड़ लिया है। जिससे पशु आश्रय केन्द्र निर्माण में बाधा पहुंच रही है। वहीं ग्राम पंचायत इन्द्रजीतखेड़ा में सरकारी भूमि की निशानदेही के अभाव में आठ आंगनबाड़ी केन्द्रों का निर्माण लटका हुआ है। लेकिन पंचायत और ब्लाक अधिकारियों की परिक्रमा के बावजूद तहसील अधिकारी कान में उंगली डालकर बैठे हुए हैं। हालांकि तहसील अफसर दूसरी तहसीलों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन का दावा कर पल्ला झाड़ रहे हैं।
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