राजमणि पाण्डेय की रिपोर्ट
भदोही उत्तर प्रदेश के भदोही जनपद में एक प्रगतिशील किसान ने अपने खेत में 100 से 350 ग्राम तक वजनी प्याज उगायी है। प्याज को एक बार देखने से सलजम होने का भ्रम पैदा हो जाता है। हांलाकि इसकी खेती उसने व्यापक पैमाने पर नहीं किया है। लेकिन थोड़ी सी जगह में अच्छी किस्म की व्याज उत्पादित कर प्याज की खेती के प्रति किसानों को आकर्षित किया है।
भदोही जनपद के सुरियावां विकासखंड के अभिया डीह निवासी किसान माताचरण मौर्य पुश्तैनी सब्जी की खेती करते हैं। उन्होंने लहसुन के मेड पर थोड़ी सी जगह में प्याज रोपी थी। किसान के अनुसार अक्टूबर में इसकी रोपाई की थी फरवरी में जब प्याज की खुदाई की तो उसमें 100 ग्राम से लेकर तकरीबन 350 ग्राम तक प्याज की फसल आयी है। सब्जी की खेती उनकी पुश्तैनी परंपरा है। खेत में उन्होंने पालक, टमाटर, बैगन, मूली, गाजर, मटर और दूसरी खेती किया है। हलांकि वह छोटी जोत के किसान हैं। लेकिन खेती उनका पारिवारिक पेशा है इसी से वह अपने परिवार की आजिविका चलाते हैं। उन्होंने बताया कि इस साल हरी मटर की उपज से उन्होंने थोड़ा लेकिन मुनाफा कमाया है। हमने नासिक की सूर्या किस्म की प्याज के बीज डाले थे। उस बीज को किसानों को भी बेंचा था। अपने लहसुन की मेड पर प्याज की रोपाई किया था। इसके बाद समय से निराई, गुणाई और सिंचाई किया। तीन माह में प्याज की फसल ने बेहतर उत्पादन दिया है। हांलाकि उन्होंने कबूल किया है कि यह बेहद छोटी जगह में इसकी खेती किए थे। मौर्य ने बताया है कि अगर सरकार किसानों को परंपरागत खेती से हटाकर उनका घ्यान आधुनिक खेती की तरफ मोड़े सुविधाएं उपलब्ध कराए तो देश का किसान खुशहाल हो सकता है। उन्होंने बताया कि फसल की उपज के बाद किसानों को मंडी की सबसे बड़ी समस्या होती है। जिसकी वजह से बीचैलिए लाभ उठाते हैं। लेकिन मोदी सरकार समर्थन मूल्य के जरिए फसलों की उचित कीमत देने का प्रयास कर रही है।