संतोष यादव
सुलतानपुर। अंतरराष्ट्रीय पावर वेट लिफ्टिंग खिलाड़ी निधि सिंह पटेल खेलों में भेद-भाव को लेकर आहत है। उनका मानना है कि कोई भी सरकार आए उसके द्वारा खेल में भेदभाव नही किया जाना चाहिए। खिलाड़ी खिलाड़ी होता है, वह चाहे जिस खेल से सम्बंध रखता हो। हर खिलाड़ी की एक ही कोशिश होती है कि खेल में हर पदक उसके नाम हो जिससे अपने देश का नाम वह पूरी दुनिया में रोशन कर सके।
भारत भारती द्वारा सुलतानपुर जिले में आयोजित अलंकरण समारोह में हिस्सा लेने आई मिर्जापुर जिले की मूल निवासी निधि सिंह पटेल क्रिकेट की अपेक्षा अन्य खेलों की उपेक्षा को लेकर आहत नजर आई।
गौरतलब है कि पूर्व में एशिया की सबसे शक्तिशाली महिला का खिताब हासिल कर चुकी निधि सिंह पटेल ने कॉमनवेल्थ, एवं एशियन पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप सहित राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ढेरों पदक जीतकर देश का गौरव बढ़ाया है। बातचीत दौरान निधि का दर्द जुबां पर छलका वह कहती है कि जब शुरुआत में खिलाड़ी को मदद की दरकार होती है तो शासन- प्रशासन आगे नही आता, और जब अपने दम पर खिलाड़ी पदक लाता है तो सभी उस पर धनवर्षा करते है। बच्चे को दूध की जरूरत बचपन में होती है जवानी में नही। निधि ने अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि वर्ष 2009 में कनाडा में होने वाले पावर लिफ्टिंग कॉमनवेल्थ गेम में वे चयन होने के बाद भी इसलिए शामिल नही हो पाई क्योंकि उन्हें दो लाख चालीस हजार रुपए जमा करना था लेकिन लाख कोशिशों के वावजूद वह जमा नही कर पाई।
जिससे उस दौरान वह आहत होकर खेल को ही अलविदा कहने का मन बना ली थी। खेलों में महिलाओं की भागीदारी के सवाल पर निधि सिंह पटेल ने कहा कि आज सभी प्रकार के खेलों में महिलाओं का रुझान बढ़ा है, लेकिन हिस्सेदारी अभी प्रयाप्त नही है। महिलाओं को खेल में पुरुषों के बराबर की भागीदारी के बिना महिला दिवस एवं खेल दिवस दोनों बेमानी है।
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