मजबूरियों के नाम पर सब छोड़ना पड़ा, दिल तोड़ना कठिन था मगर तोड़ना पड़ा
जमीर अंसारी की रिपोर्ट
सोनभद्र। बीजपुर स्थित एनटीपीसी की रिहंद परियोजना के मानव संसाधन विभाग के तत्वावधान में एनटीपीसी स्थापना दिवस के पूर्व संध्या पर मंगलवार की सायं इंद्रधनुष प्रेक्षागृह में ऑल इंडिया मुशायरा का आयोजन किया गया।
जिसका उदघाटन बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित मुख्य महाप्रबंधक (रिहंद) ए के मुखर्जी एवं विशिष्ठ अतिथि वर्तिका महिला मण्डल की अध्यक्षा स्वरूपा मुखर्जी ने अन्य सहअतिथियों एवं शायरों के साथ संयुक्त रूप से माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं प्रज्ञादीप प्रज्ज्वलित करके किया।
कार्यक्रम के शुरुआती दौर में मुख्य अतिथि, विशिष्ठ अतिथि एवं अन्य सहअतिथियों ने आयोजन में उपस्थित कवियों एवं शायरों को पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्र से अलंकरण कर उन्हें सम्मानित किया साथ ही दीपावली के अवसर पर मिष्ठान व ‘सोन-शिखर’ नामक पुस्तक भेंट किया।अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि श्री मुखर्जी ने कवियों एवं शायरों द्वारा पेश किए गए रचनाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी रचनाएँ राष्ट्र एवं समाज के हित में लोगों के लिए प्रेरणा दायक हैं ।
श्री मुखर्जी ने कहा कि एनटीपीसी केवल विद्युत उत्पादन ही नहीं करती बल्कि विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से समाज को एक कड़ी में पिरोने का भी कार्य करती है ।
मुशायरा प्रारंभ होने के पूर्व एनटीपीसी गीत की प्रस्तुति की गई । मुशायरा का शुभारंभ पश्चिम बंगाल से आए हुए करण सिंह जैन ने माँ सरस्वती की वंदना “वर दे वीणा वादिनी वर दे” से प्रारंभ करके वातावरण में भक्तिरस का संचार किया । पुनः हास्य व्यंग्य के मशहूर शायर श्री जैन ने “मैं नहीं कहता कि पूजो किसी भगवान को, यदि पूजा करना ही है तो हँसाओ किसी इंसान को” सुनाकर श्रोताओं को मानवतावादी संदेश दिया । अगली कड़ी में बिहार प्रांत से आए हुए मीसम गोपालपुरी ने देश प्रेम से ओत-प्रोत शायरी “अगर मरें तो तमन्ना रहे लबों पर यहीं, कसम खुदा की तिरंगा रहे कफन के लिए” तथा आज के परिवेश में प्रेमी-प्रेमिका के वायदों को चरितार्थ करने वाला शायर “मैं झूठ अगर बोलूँ तो शूली पर चढ़ा देना, फितरत है हसीनों की दिल लेके दगा देना” को सुनाकर श्रोताओं की जमकर वाहवाही लूटी । मुशायरे के दौरान भोपाल से आई हुई अंतर्राष्ट्रीय शायरा अंजुम रहबर ने लड़कियों की पवित्रता को चरितार्थ करती हुई “उनसे कहो कि गंगा की तरह पवित्र हैं लड़कियाँ, जिनके लिए शराब की बोतल हैं लड़कियाँ” तथा ” मजबूरीयों के नाम पर सब छोड़ना पड़ा, दिल तोड़ना कठिन था मगर तोड़ना पड़ा ” आदि शायरी सुनाकर श्रोताओं को लगातार तालियाँ बजाते रहने पर बाध्य कर दिया । फिरोजाबाद से मुशायरे में शिरकत करने आए हासिम ‘फिरोजाबादी’ ने देशप्रेम को परिलक्षित करते हुए “जो न अब तक हुआ कर दिखाएंगे हम, गैर को भी गले से लगाएंगे हम । अपने हिंदुस्तान को खुदा की कसम, फिर से सोने की चिड़िया बनाएँगे हम॥” को सुनाकर श्रोताओं के दिलों में स्थान बनाने में पूरी तरह कामयाब रहे । एनटीपीसी मेजा के अपर महाप्रबंधक (वित्त) दीपक ‘दानिश’ ने एनटीपीसी पर बनाई शायरी “वतन की राह में हम नूर से हैं वाबस्ता, वतन की शान में हर पल है रोशनी हमसे” ।
हैं बागबाँ कि जो सेहरा में गुल खिलते हैं, सहर हो, शाम हो, रौशन है ज़िंदगी हमसे॥” को सुनाकर एनटीपीसी की गरिमा का बखान किया । लालकिला सहित लगभग पूरे हिंदुस्तान में काव्यमंचों का संचालन कर चुके कमलेश राजहंस ने “मुझे देखा तो उन्हें खिलना नहीं आया, मेरी फटी चादर उन्हें सिलना नहीं आया” तथा माँ के महत्व को दर्शाते हुए “बस इतनी बात पर माँ शहर जाने को नहीं राजी, अगर वह गाँव छोड़ देगी तो तुलसी सूख जाएगी” आदि कविताओं को सुनाने के साथ-साथ अपने संचालन के माध्यम से कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिया ।
कार्यक्रम के शुरुआती दौर में आयोजन का संयोजन करने वाले व महासचिव रिहंद साहित्य मंच तथा सहायक प्रबंधक राजभाषा एवं जनसंपर्क मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने कवियों, शायरों एवं शायरा तथा मुख्य अतिथि एवं आगंतुकों का स्वागत किया ।
धन्यवाद ज्ञापन प्रबंधक (प्रचालन) एवं रिहंद साहित्य मंच के सांस्कृतिक सचित मुकेश कुमार ने किया । कार्यक्रम में मुख्य रूप से महाप्रबंधक (ओ एंड एम) रंजन कुमार, महाप्रबंधक (अनुरक्षण) जी सी चौकसे, महाप्रबंधक (एफ़ एम) एम रमेश, अपर महाप्रबंधक गण के एस मूर्ति, अनुराग शुक्ला, एच एच पी श्रीवास्तव, यू के श्रीवास्तव, कामेश्वर प्रसाद, वर्तिका महिला मण्डल की पदाधिकारी महिलाएँ रश्मि चौकसे, माधवी रमेश, मधु श्रीवास्तव, रिहंद साहित्य मंच के अध्यक्ष अभ
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