नई दिल्ली : 2010 में मिर्चपुर में हुए दलित हत्याकांड मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 33 लोगों को दोषी करार दिया है। 33 दोषियों में से 12 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। अपने फैसले से दिल्ली हाईकोर्ट ने निकली अदालत के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें 20 व्यक्तियों को बरी करने का फैसला सुनाया गया था।
हरियाणा के हिसार जिले के मिर्चपुर गांव में अप्रैल 2010 में जाट समुदाय के सदस्यों ने 60 वर्षीय एक बजुर्ग दलित एवं उनकी दिव्यांग बेटी को जिंदा जला दिया था। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ ने कहा कि आजादी के 71 साल बाद भी दबंग जातियों से संबद्ध लोगों द्वारा अनुसूचित जाति से संबंधित लोगों के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं में कमी के कोई संकेत नहीं दिखते हैं।
अदालत ने कहा कि जाट समुदाय के लोगों ने बाल्मीकि समुदाय के सदस्यों के घरों को जानबूझकर निशाना बनाया। इस मामले में जाट समुदाय के सदस्यों का मकसद बाल्मीकि समुदाय के लोगों को सबक सिखाना था और आरोपी अपने इस मकसद में पूरी तरह कामयाब भी हुए। इसमें कहा गया कि हरियाणा सरकार दोषियों से जुर्माने के रूप में मिली धनराशि का इस्तेमाल पीड़ितों को आर्थिक राहत एवं पुनर्वास के प्रावधानों के लिए करे।
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