नई दिल्ली : राम मंदिर को लेकर जहाँ एक तरफ देश भर में हलचल तेज़ है, वहीँ इस मामले को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी का दौर भी जारी है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों व संगठनों से जुड़े नेता जहाँ इस मामले को लेकर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं, वहीँ वहीँ कुछ नेता बोलते-बोलते अपनी शब्दों की मर्यादा को भी तार-तार कर रहे हैं। इसी क्रम में आरएसएस के एक नेता ने राम मंदिर को लेकर अपने विचार प्रकट करते हुए शब्दों की मर्यादा लांघ दी।
RSS के सदस्य इंद्रेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर विवादित बयान देते हुए कहा कि भारत का संविधान जजों की बपौती नहीं है, क्या वो कानून से भी ऊपर हैं। आपको बता दें कि इंद्रेश कुमार चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में चल रहे ‘जन्मभूमि से अन्याय क्यों’ कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राम जन्म स्थान बदलने की इजाजत क्यों दी गई ? जब वेटिकन, काबा और स्वर्ण मंदिर नहीं बदले जा सकते तो राम जन्मभूमि कैसे बदली जा सकती है ?
उन्होंने कहा कि मस्जिद बनाने की अपनी शर्तें हैं, बाबर को किसी ने जमीन दान में नहीं दी. बाबर ने जमीन किसी से खरीदी नहीं। वहां राम मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई गई। वहां कोई मस्जिद नहीं थी और अगर तोड़कर मस्जिद बनाई गई तो वो गुनाह है और वहां की गई इबादत स्वीकार नहीं होगी, लेकिन बाबर ने कोई इस्लाम का नियम नहीं माना।
संघ नेता बोले कि बाबर ने इस्लाम और कुरान शरीफ का अपमान किया, क्या मुसलमान उस बाबर की इबादत करना चाहेंगे ? इस्लाम के मुताबिक, मस्जिद किसी इंसान या शहंशाह के नाम पर नहीं हो सकती, लेकिन बाबर ने मुसलमानों से अल्लाह का नाम छीन लिया और अपना नाम मस्जिद को दे दिया।
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