राजेश पाल की रिपोर्ट :
अमेठी : शुकुल बाजार कस्बा थाना ब्लॉक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का मुख्यालय है, यहां पर सामुदायिक सुलभ शौचालय ना होने से कस्बा वासियों समेत ग्राहकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लगभग 5000 से 10000 व्यक्तियों का विभिन्न आवश्यक वस्तुओं के खरीद एवं बिक्री हेतु शुकुल बाजार कस्बे में प्रतिदिन आना जाना रहता है, जिसमें युवा, पुरुष, महिला, बच्चे, बुजुर्ग, सभी वर्गों के लोगों का आना जाना रहता है। ऐसे में अगर किसी को शौच सताती है तो भारी परेशानी होती है। खासकर किसी महिला या बुजुर्ग व्यक्ति को जब शौच आती है, तो बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है।
वहीं जाहिर सी बात है जब प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोगों का मार्केट में आना है तो लोगों को अनैच्छिक क्रिया भी सताएगी ऐसे में लोग शौच के लिए खुले मैदान का ही इस्तेमाल करेंगे, जबकि खुले में शौच से मुक्त के लिए सरकार अरबों खरबों रुपए खर्च करके सुलभ शौचालय का निर्माण पूरे देश में करा रही है, जिससे खुले में शौच के लिए लोग ना जाए और गंभीर बीमारियों समेत कई समस्याओं का समाधान हो सके। लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह उठता है कि अगर एक घर को एक परिवार को शौचालय है तो फिर इतने बड़े कस्बे के लिए आखिर क्यों नहीं है सुलभ शौचालय ? क्या इस तरह खुले में शौच से मुक्त हो पाएगा भारत ? आखिर किसकी जिम्मेदारी है कि इतने बड़े कस्बे में सामुदायिक सुलभ शौचालय बनवाया जाए ? क्षेत्रीय प्रबुद्ध जनों का कहना है कि आखिर अभी तक क्यों निर्माण नहीं हुआ सामुदायिक सुलभ शौचालय का ?
कुछ ऐसी ही समस्या महोना कस्बा जैनम गंज कस्बा में भी दिखाई देती है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि कस्बे में सामुदायिक सुलभ शौचालय बनवाया जाए। क्षेत्रीय प्रबुद्ध जनों का कहना है कि आखिर अभी तक क्यों निर्माण नहीं हुआ सामुदायिक सुलभ शौचालय का ? क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि चुनाव के दौरान हर जनप्रतिनिधि विकास और जनता की समस्याओं की समाधान के लिए बोलता है लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद कोई ध्यान नहीं देता। क्षेत्रीय प्रबुद्ध जनों ने शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से शुकुल बाजार सहित आसपास के कस्बों में सुलभ शौचालयों की मांग की है, जिससे लोगों को परेशानी से निजात भी मिल सके और खुले में शौच से मुक्त सरकार का सपना भी साकार हो सके।