नई दिल्ली : पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा बहाल किया जाने और फिर मोदी सरकार द्वारा सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को बर्खास्त किये जाने के बाद सीबीआई विवाद का मामले ने एक बारे फिर तूल पकड़ लिया है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए जहाँ तमाम विपक्षी पार्टियां इस मामले को मोदी सरकार के खिलाफ जमकर भुनाना चाहती है, वहीँ कांग्रेस शासित एक राज्य व दो अन्य राज्यों में सीबीआई के कामकाज पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है।
दरअसल शुक्रवार को छत्तीसगढ़ सरकार ने अधिकारिक तौर पर सीबीआई को राज्य में जांच करने और छापा मारने के लिये दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है। इससे पहले राज्य सरकार ने 2001 में यह सामान्य सहमति केंद्रीय जांच एजेंसी को दी थी। यह सहमति वापस होने के बाद अब सीबीआई को यदि छत्तीसगढ़ में अदालत के आदेश पर कोई छापा मारना होगा तो उससे पहले राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा जांच एजेंसी उस राज्य में तैनात केंद्र सरकार के किसी अधिकारी के खिलाफ कोई जांच शुरू करनी है या रेड डालनी है तो भी राज्य सरकार से मंजूरी लेनी पड़ेगी।
इससे पहले पिछले साल अक्तूबर माह में सबसे पहले आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपने राज्य में सीबीआई को छापा मारने या किसी मामले की जांच करने की सामान्य सहमति वापस ले ली थी। इसके बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बैनर्जी ने भी यह कहते हुए कि सीबीआई का अब राजनीतिक इस्तेमाल हो रहा है, इसलिए उन्होंने भी जांच एजेंसी की गतिविधियों पर बैन लगा दिया।
शुक्रवार को अखिलेश यादव ने कहा, बड़ा सवाल यह है कि सीबीआई में जो कुछ चल रहा है कि उसकी जांच कौन करेगा।यह जांच एजेंसी केंद्र सरकार का खिलौना बन कर गई है। जो कोई पार्टी या राज्य सरकार, भाजपा की बात नहीं मानते तो उनके पीछे सीबीआई को लगा दिया जाता है।
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