नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर का मसला एक बार फिर तूल पकड़ता नज़र आ रहा है। जहाँ एक तरफ राम मंदिर को लेकर मोदी सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, वहीँ लोगों की इस मामले को लेकर नाराजगी से निपटने के लिए मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बड़ा दाँव चल दिया है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार के इस दाँव से इस मामले का रूख बड़ा जायेगा।
दरअसल मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद मामले में विवादित जमीन को छोड़कर बाकी की जमीन को राम जन्मभूमि को लौटाने और इसपर जारी यथास्थिति को हटाने की मांग की है। अपनी अर्जी में सरकार ने 67 एकड़ जमीन में से कुछ हिस्सा सौंपने को लेकर अर्जी दी है। यह 67 एकड़ जमीन 2.67 एकड़ विवादित जमीन के चारो तरफ स्थित है। सरकार के इस फैसले का हिंदूवादी संगठनों और विश्व हिंदू परिषद् ने स्वागत किया है।
इस मामले में विवादित ढांचे के मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी का कहना था कि 1993 में जब अयोध्या अधिग्रहण अधिनियम लाया गया था तब उसे अदालत में चुनौती दी गई थी। अदालत ने तब यह व्यवस्था दी थी कि अधिनियम लाकर अर्जियों को खत्म करना गैर संवैधानिक है। अर्जी पर पहले अदालत फैसला ले और तब तक जमीन केंद्र सरकार के संरक्षण में ही रहे। ताकि जिसके हक में अदालत फैसला सुनाती है सरकार जमीन को उसके सुपुर्द कर दे।
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