तीन लाख की आबादी के बीच एक महिला डॉक्टर, करोड़ों की लागत से बना बीएमसी खा रहा धूल

राघवेंद्र तिवारी की रिपोर्ट :

लखनऊ : आये दिन निगोहा पीएचसी से लेकर सीएचसी मोहनलालगंज में इलाज के अभाव में प्रसूताएं दम तोड़ रही है। और सुविधाओं न होने का हवाला देकर रोजाना प्रसुताओं को लखनऊ के अस्पतालों में भेज दिया जाता है। वही मोहनलालगंज के सीएचसी परिसर में करोडो की लागत से ६० बिस्तरों वाला जिले के ग्रामीण इलाके में बना इकलौता बाल महिला चिकित्सालय धूल खा रहा है।

मोहनलालगंज इलाके में चार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक एफ आर यू का दर्जा प्राप्त सीएचसी मौजूद है। जहाँ महिलाओं की सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नही है। यही वजह है कि आये दिन इलाके की प्रसुताओं को अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ता है। जबकि महिलाओं की सुविधा के लिए सीएचसी परिसर में बेहतर प्रसव और नवजात को हरसंभव उपचार सुविधा देने के 60 बिस्तर के बाल महिला चिकित्सालय का पाच करोड़ पच्चासी लाख रुपए की लागत से निर्माण कराया गया।

दिसम्बर-2016 में बिल्डिंग भी बनकर तैयार हो गई। जिसमें आईसीयू , एनआईसीयू, ब्लड बैंक, लाइफ सपोर्ट सिस्टम, आधुनिक आपरेशन थियेटर, लिफ्ट तक की व्यवस्था है । बिल्डिंग स्वास्थ्य विभाग को हैण्ड ओवर भी हो चुकी है। लेकिन स्टाफ और संसाधनो के अभाव में बीएमसी उद्घाटन को तरस रही है। सीएचसी में कई अधिकारी और तत्कालीन सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने निरीक्षण भी किया और बीएमसी के शूरू होने का आश्वासन भी दिया। लेकिन अस्पताल का उद्घाटन नहीं हो सका। जिसके चलते क्षेत्रीय लाखो की आबादी को बेहतर सुविधाओ के अभाव का दंश झेलना पड़ रहा है। इलाके की महिलाओं व नवजात बच्चों को बेहतर इलाज के लिए लखनऊ तक दौड़ लगानी पडती है।

सांसद विधायक भी कर चुके है मांग

क्षेत्रीय सांसद कौशल किशोर और विधायक अम्बरीष पुष्कर कई बार धूल खा रहे बीएमसी को शुरू करने के लिए पत्र व्यवहार कर चुके है।वही हाल में ही एसडीएम मोहनलालगंज सूर्यकांत त्रिपाठी भी प्रसुताओं की समस्याओं से जिलाधिकारी को अवगत कराकर बीएमसी को शुरू करने की मांग कर चुके है।

तीन लाख की आबादी के बीच एक महिला डाक्टर

मोहनलालगंज सीएचसी और निगोहा, सिसेंडी, दखिना, खुजौली, पीएचसी के बीच दो महिला डाक्टर है। जिसमे संगीता चौहान ही अस्पताल की ओपीडी के साथ सप्ताह में तीन दिन बेहोशी के डॉक्टर के आने पर ऑपरेशन भी करती है। और एक संविधा महिला डाक्टर सिर्फ ओपीडी के दौरान मरीजो को देखती है।जिसके चलते ओपीडी के बाद डाक्टर न मिलने से प्रसुताओं को अपनी जान गवानी पड़ती है।

Kanhaiya Krishna

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