नई दिल्ली : जनता के सामने विकास कार्यों को लेकर तमाम तरह के दावे व वादे करने वाले जनप्रतिनधि की हकीकत कुछ और हीं बयां करती है। जी हाँ, अगर बात करें देश के दो चर्चित नेताओं राहुल गाँधी और पीएम मोदी की, तो ये दोनों हीं नेता सांसद विकास निधि का खर्च करने में फिसड्डी साबित हुए हैं।
इन दोनों के अलावा कुछ और भी ऐसे जनप्रतिनिधि हैं, जो सांसद विकास निधि का खर्च करने में फिसड्डी साबित हुए हैं। वहीँ कुछ ऐसे भी सांसद हैं, जिन्होंने सांसद विकास निधि का 95 फीसदी तक खर्च कर दिया।
राहुल गांधी ने एमपी लैड की जहां लगभग 60.56 फीसदी राशि खर्च की है तो नरेंद्र मोदी भी महज 62.96 फीसदी रकम खर्च कर पाए हैं। राहुल के नक्शे कदम पर चलते हुए कांग्रेस के कुल 45 सांसदों ने भी इस मामले भरपूर कंजूसी दिखाई है।
सांसद विकास निधि का सर्वाधिक उपयोग करने वाले देश के शीर्ष 50 सांसदों में कांग्रेस के मात्र दो सांसद के हैं जो 45वें और 49वें नंबर पर है। सांसद निनोंग एरिंग और डीके सुरेश ही इस सूची में स्थान बनाने में कामयाब रहे।
वहीँ अश्विनी कुमार चौबे, गिरिराज सिंह, मुरली मनोहर जोशी और अनुराग ठाकुर जैसे कुछ सांसद ऐसे भी हैं, जिन्होंने एमपी लैड का 95 फीसदी से अधिक इस्तेमाल कर दिखाया।
सांसद विकास निधि के खर्च की बात है तो अब तक 30 फीसदी से अधिक निधि बिना खर्च हुए सरकारी खजाने की शोभा बढ़ा रही है। कहने का तात्पर्य यह है कि सांसदों को हर साल मिलने वाली विकास राशि भी पूरी तरह से खर्च नहीं हो पाई।
एमपी लैड पर सरकार की ही वेबसाईट पर उपलब्ध आकंड़ों के अनुसार 10 जनवरी 2019 तक बिना खर्च हुए 4021.13 करोड़ रुपये जमा हैं। सांसद विकास निधि खर्च करने में महिला सांसद बेहतर हैं उन्होंने 72 फीसदी राशि खर्च कर दी जबकि पुरुष सांसद 69.33 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाए। राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तराखंड के सांसद इस राशि को खर्च करने के मामले में सबसे फिसड्डी हैं।
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