National Education Day 2021: भारत में हर साल 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस (National Education Day) के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teacher’s Day) भी मनाया जाता है, तो फिर प्रश्न उठता है कि 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने की क्या आवश्यकता है। दरअसल यह भारत के पहले शिक्षा मंत्री तथा भारत रत्न सम्मानित मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के पहले मंत्रिमंडल में 1947 से 1958 तक शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य करते हुए Maulana Abul Kalam Azad ने भारत में शिक्षा के विकास में अहम योगदान दिया।
अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन को मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम से जाना जाता है। उनका जन्म 1888 में मक्का, सऊदी अरब में हुआ था. उन्होंने 1912 में ब्रिटिश नीतियों की आलोचना करने के लिए उर्दू में एक साप्ताहिक पत्रिका अल-हिलाल शुरू की थी। अल-हिलाल पर प्रतिबंध लगने के बाद उन्होंने एक और साप्ताहिक पत्रिका अल-बगाह शुरू की।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के महत्वपूर्ण योगदान को याद करते हुए भारत के इस महान बेटे के जन्मदिन को National Education Day के तौर पर मनाने की घोषणा 11 सितंबर 2008 को की थी। तब से हर साल यह मनाया जा रहा है। Maulana Abul Kalam Azad को एक शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनके योगदान के लिए 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
1. मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का पूरा नाम मौलाना सैयद अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल-हुसैनी आजाद था। इनका जन्म 11 नवंबर, 1888 को हुआ था। एक प्रसिद्ध विद्वान और कवि, वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में से एक थे।
2. मौलाना आजाद का निकाह तेरह वर्ष की आयु में एक युवा मुस्लिम लड़की ज़ुलिखा बेगम से हुआ था। वह देवबंदी विचारधारा के करीब थे और उन्होंने कुरान की अन्य अभिव्यक्तियों पर लेख लिखे थे ।
3. अपने कार्यकाल के दौरान, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे जिन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली की स्थापना की। इसलिए, उनका प्राथमिक ध्यान मुफ्त प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने पर था।
4. लेकिन भारत के लिए उनका सबसे बड़ा योगदान शिक्षा का उपहार है। उन्हें 1920 में आमंत्रित किया गया था और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जामिया मिलिया इस्लामिया की नींव समिति के सदस्य के रूप में चुना गया था।
5. स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में, दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा संस्थान की स्थापना के लिए जिम्मेदार थे। यह बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय के तहत शिक्षा विभाग के रूप में जाना जाने लगा।
6. Maulana Abul Kalam Azad IIT और देश के कई प्रमुख संस्थानों के पीछे के व्यक्ति थे। उन्होंने इस्लामी शिक्षा के अलावा अन्य गुरुओं से दर्शन, इतिहास और गणित में भी शिक्षा प्राप्त की। आजाद ने उर्दू, फारसी, हिंदी, अरबी और अंग्रेजी भाषाओं में दक्षता हासिल की।
7. देश के विकास में इनका सबसे बड़ा योगदान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान है। इनके नेतृत्व में पहला आईआईटी – आईआईटी खड़गपुर 1951 में स्थापित किया गया था। वे आईआईटी की क्षमता में विश्वास करते थे और उन्होंने कहा था, ‘मुझे कोई संदेह नहीं है कि इस संस्थान की स्थापना उच्चतर प्रगति में एक मील का पत्थर बनेगी। देश में तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान को प्रगति मिलेगी।
8. इन्होंने 1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना की। उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान या IISc बैंगलोर की स्थापना पर जोर दिया।
9. उन्होंने हमेशा ही इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र के विकास के लिए महिला सशक्तिकरण एक आवश्यक और महत्वपूर्ण शर्त है। उनका मानना था कि महिलाओं के सशक्तिकरण से ही समाज स्थिर हो सकता है। साल 1949 में संविधान सभा में उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के मुद्दे को उठाया था।
10. Maulana Abul Kalam Azad को एक शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनके योगदान के लिए 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
National Education Day
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