संतोष गुप्ता की रिपोर्ट
शहाबगंज चन्दौली श्रीमद् भागवत कथा का वर्णन करते हुए बृजवासी संत पंडित चंद्र सागर जी महाराज ने धूमधाम से श्री कृष्ण का प्राकट्य उत्सव मनाया ।महाराज श्री ने बताया कि राम कथा का द्वार शिव कथा और श्री कृष्ण कथा का द्वार श्री राम कथा ।श्री कृष्ण की लीला प्रेम और माधुर्य से भरी है जबकि राम की प्रत्येक लीला में मर्यादा। जो धर्म की मर्यादा में रहता है उसके मन में ही प्रभु प्रेम जगता है इससे भागवत में मर्यादा पुरुषोत्तम की कथा पहले आती है और प्रेम पुरुषोत्तम की कथा बाद में आती है ।श्री राम जी त्याग और वैराग्य की प्रतिमूर्ति हैं। राम भगवान धर्म जो मोह रूपी रावण का वध करें अहंकार रूपी कुंभकरण को या तो सुला दे अथवा नष्ट कर दे और कामरूपी मेघनाथ पर विजय प्राप्त करें उसी का ह्रदय रामराज्य कहलाता है । श्री कृष्ण प्रेम रस के स्वरूप हैं ।श्री कृष्ण मन का आकर्षण करके प्रेम का रस प्रदान करते हैं ।गोपियों का मान सदैव श्रीकृष्ण से रहता है इसी से गोपियों की सहज समाधि और सुखदेव जो स्वयं गोपियों की कथा कर रहे हैं। सुखदेव जी सन्यासी महात्माओं के आचार्य हैं और गोपियों की प्रशंसा करते हैं गोपियों का वस्त्र सन्यास नहीं है, गोपियों का प्रेम सन्यास है वस्तु संन्यास से प्रेम संयास श्रेष्ठ गोपियों ने घर छोड़ा है पर गोपियों के मन में घर नहीं है गोपियों के मन में श्री कृष्ण का स्वरूप स्थित है गोपिया नाथ नहीं पकड़ती प्रणायाम नहीं करती फिर भी साहस समाधि है ।श्री कृष्ण लीला में इंद्रियों को सहज समाधि की ओर ले जाकर परम आनंद की अनुभूति कराने के लिए ही भगवान नारायण नर रूप से गोकुल मे प्रकट होते हैं। गोपिया बधाई देती हुई गाती है। नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ।और बृजवासी गाते हैं नंद जी के अंगना में बज रही आज बधाई ।संपूर्ण कथा पंडाल आनंद उत्सव में खड़े होकर नृत्य कर रहा था ।कथा में आप सब का विशेष सहयोग रहा।
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