नई दिल्ली : बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने जितने काम समय में सफलता हासिल की है, वो अपने आप में हैरान करने वाला है और शायद यहीं कारण है कि बाबा रामदेव को लोग योग गुरु के साथ-साथ मैनेजमेंट गुरु भी कहने लगे है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पतंजलि की सफलता के पीछे रामदेव का नहीं बल्कि किसी और का हाथ है ? अगर नहीं जानते हैं तो आईये हम आपको बताते हैं कि पतंजलि की सफलता के पीछे किसका हाथ है।
दरअसल बाबा रामदेव के विश्वासपात्र होने के नाते पतंजलि आयुर्वेद में बालकृष्ण की 94% हिस्सेदारी है, लेकिन फिर भी वे अपनी कमाई का एक पैसा भी घर नहीं लेकर जाते। वे दिन में 15 घंटे काम करते हैं, रविवार तथा छुट्टी वाले दिन भी काम करते हैं। आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि उन्होंने अभी तक एक दिन भी छुट्टी नहीं ली।
43 साल की उम्र में सीईओ के पद पर काम करने वाले कई लोग होंगे, लेकिन आचार्य वालकृष्ण का काम करने का ढंग थोड़ा अलग है। वे आईफोन का इस्तेमाल करते हैं लेकिन उनके दफ्तर में कोई कंप्यूटर नहीं है। इतना ही नहीं, सफेद कुर्ता और धोती पहन कर काम करने वाले आचार्य जी को प्रिंट आउट से पढ़ना पसंद है। वे अपने कार्य स्थल में केवल हिंदी भाषा ही बोलते हैं।
बालकृष्ण का मानना है कि उनकी “कड़ी मेहनत” से पतंजलि आयुर्वेद कम समय में एक समृद्ध कंपनी बनी है। सफलता पाने के लिए पतंजलि आयुर्वेद ने अन्य कंपनी से विपरीत मार्केटिंग रणनीति अपनाई है। जहां अन्य कंपनियां नए उत्पादों को सतर्कता से लॉन्च करती हैं वहीं पतंजलि ने बिना किसी हिचकिचाहट के अब तक 400 से भी अधिक उत्पाद लॉन्च किए हैं।
2011 में सीबीआई ने बालकृष्ण के खिलाफ धोखाधडी का मामला दर्ज किया था। परंतु दो साल पहले बालकृष्ण को इस केस में क्लीन चिट मिली। अपने दुखद अतीत से बाहर निकल कर बालकृष्ण ने खुद को सफलता की नीव पर खड़ा किया। बालकृष्ण अपने गुरु की हर सलाह मानते हैं तथा उनकी तारीफ करते नहीं थकते।
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