उत्तर प्रदेश

सुल्तानपुर: कीचड़ युक्त अधूरी सड़के राहगीराे के लिए बना परेशानी का सबाब

सुल्तानपुर। एहि बेईमानी युग मा वे राजा हरिश्चंद्र न होइ जइहैं इ तौ पहले से पता रहा लेकिन हमार चुना नेता एतना गिर जैएहैं इ नाय पता रही।यह अल्फाज गंवई रामबोध के है। जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविस्वास प्रस्ताव को लेकर सदस्यों द्वारा पल-पल बदल रहे रंग को लेकर रामबोध दुखी है। जिले के विभिन्न वार्डो के अधिकांश मतदाताओं की राय भी रामबोध जैसी ही है। वे अपने चुने जिला पंचायत सदस्यों की पल-पल बदल रही आस्था,निष्ठां को लेकर आश्चर्यचकित है। उनका मानना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर हो रही रस्सा कसी के बीच विकास हैंग कर रहा है। क्षेत्र के विकास का वादा कर चुनाव जीते ये जनप्रतिनिधि अपने विकास में लग गए है। वैसे जो भी हो धनबल बाहुबल की इस लड़ाई में सदस्यों की बल्ले बल्ले हो गई।कुछ तो खुलेआम अपने जमीर का सौदा करने से भी गुरेज नही कर रहे। दो साल के अंदर ही कई बार वे अपना पाल्हा भी बदल चुके है। लोकतंत्र की आड़ में जनता की नुमाइंदगी का मौका हासिल किये ये चेहरे रंग बदलने में गिरगिट को भी मात रहे है। गौरतलब है कि 24 मार्च को मोनू अपने कई जिला पंचायत सदस्यों के साथ डीएम से मिलकर अविस्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग की थी उसी दिन से सदस्यों के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया। इसी बीच पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष पृथ्वीपाल यादव पर दलित सदस्य मीना सिंघानिया को अपहरण किये जाने का मुकदमा दर्ज हुआ। हलाकि बाद में यह आरोप फर्जी निकला।वही कूरेभार थाने में भी सदस्य फरहान एवं अध्यक्ष उषा सिंह के पति शिवकुमार सिंह की तरफ से एक दूसरे के खिलाफ मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया गया। गौरतलब है कि बीते त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कुर्सी को लेकर सपा बसपा भाजपा द्वारा अपने अपने प्रत्याशी उतारे जाने को लेकर जब रणनीत बनाई गई तो सपा से सेटिंग जिला पंचायत अध्यक्ष रहे पृथ्वीपाल यादव, भाजपा समर्थित पूर्व प्रमुख यशभद्र सिंह के साथ ही बसपा से समाजसेवी शिवकुमार सिंह की पत्नी उषा सिंह के नाम चर्चा में आये।इसी बीच बदले समीकरण में पृथ्वीपाल यादव की जगह सपा से उषा सिंह का नाम फाइनल हो गया।पार्टी हाईकमान का आदेश मान सेटिंग अध्यक्ष पृथ्वीपाल यादव भी उषा सिंह के समर्थन में उस दौरान खड़े हो गए। धनबल बाहुबल की हुई इस जोर अजमाइस के बीच बाजी उस समय समाजसेवी शिवकुमार सिंह की पत्नी उषा सिंह के हाथ लगी थी। तब से वह इस पद पर काबिज है।ज्ञातब्य है कि जिले में जिला पंचायत के 46 वार्ड है। जिसमें 24 पुरुष व 22 महिला बिभिन्न वार्डों से सदस्य है।महिलाओं की भारी भरकम संख्या होने के बावजूद महिला जिला पंचायत अध्यक्ष उषा सिंह को लगातार अविस्वास को लेकर चुनौतियां झेलनी पड़ रही है। अब 23 अप्रैल को डीएम ने अविस्वास पर चर्चा की डेट मुकर्रर की है। दोनों की तरफ से सदस्यों को अपने पाले में लाने के लिए पुरुजोर कोशिश जारी ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो 23 अप्रैल को ही पता चलेगा।

अविस्वास प्रस्ताव को लेकर भाजपा में दो फाड़ जिला पंचायत अध्यक्ष उषा सिंह के खिलाफ पूर्व में भाजपा प्रत्याशी रहे यशभद्र सिंह उर्फ़ मोनू समर्थकों द्वारा लाये जा रहे अविस्वास प्रस्ताव पर भाजपाई ही दो फाड़ दिख रहे है। बीते चुनाव में आमने सामने की इस लड़ाई में दूसरे नंबर पर रहे यशभद्र सिंह वर्ष भर पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा से नाता तोड़कर जिले की इसौली विधानसभा से चुनाव मैदान में उतर पड़े। बातौर लोकदल उम्मीदवार उन्हें जीत तो नही मिली लेकिन यहाँ भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश पांडेय चार हजार से चुनाव हार गए।जबकि जिले की पांचो विधानसभाओं में से इसौली को छोड़ चार सीटों पर भाजपा की जीत हुई। उस दौरान ओमप्रकाश पांडेय ने अपनी हार का कारण यशभद्र सिंह के चुनावी मैदान में अंत तक डटे रहने की मुख्य वजह बताई। चुनाव बाद भाजपा को बहुमत मिला और सूबे में जब भाजपा की सरकार बनी तभी से मोनू सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष उषा सिंह के खिलाफ अविस्वास प्रस्ताव लाने का ताना बाना बुनना शुरू कर दिए। लेकिन पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ने की वजह से उनके अभियान से भाजपाई किनारा कस लिए।और इसी दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष उषा सिंह व उनके पति शिवकुमार सिंह ने भाजपा से दोस्ती कर ली।तबसे भाजपाई उषा सिंह के लिए रक्षा कवच का काम कर रहे है।

सपाई क्यों मेहरबान है

जिला पंचायत अध्यक्ष उषा सिंह के खिलाफ गत चुनाव के रनर रहे भाजपा प्रत्याशी यशभद्र सिंह मोनू द्वारा लाये जा रहे अविस्वास प्रस्ताव पर सपाई क्यों मेहरबान है। इस बात को लेकर राजनीतिक हल्कों में चर्चा का विषय बना हुआ है। जबकि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा कोई इशारा भी नही मिला है। सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार समाजवादी पार्टी के कई नेता प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मोनू सिंह की मदद में है। सपा के पूर्व विधायक संतोष पांडेय तो खुलकर सामने आ गए है। वही सपा के एक विधायक द्वारा भी मोनू की मदद किये जाने को लेकर चर्चा है।साथ ही कई और भी कद्दावर चेहरे है जो पर्दे के पीछे से मददगार की भूमिका में है।

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