नई दिल्ली : राफेल डील को लेकर जारी घमासान के बीच आज राफेल डील से जुडी कैग की रिपोर्ट राज्यसभा में पेश हुई। कैग की रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस द्वारा इस डील को लेकर कही जा रही तमाम बातें झूठ साबित हुई है, हालाँकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी इस रिपोर्ट को हीं झूठ बता रहे हैं। कैग की रिपोर्ट से जहाँ मोदी सरकार को राफेल के मुद्दे पर राहत मिली है, वहीँ कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गयी है।
राफेल डील से जुडी कैग की रिपोर्ट में हुए ये खुलासे :
रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के मुकाबले एनडीए सरकार ने 2.86 फीसदी सस्ती डील फाइनल की है। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि 126 विमान के सौदे के मुकाबले भारत 17.08 फीसदी पैसों की बचत करने में कामियाब हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले 18 राफेल विमानों का डिलिवरी शेड्यूल पुरानी 126 विमानों की डील से बेहतर है। रिपोर्ट में 2007 और 2015 की मूल्य बोलियों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है।
सौदे में हुई देरी की मुखय वजह तकनीकी और मूल्य मूल्यांकन में आई दिक्कत है। तकनीकी मूल्यांकन रिपोर्ट में निष्पक्षता, तकनीकी मूल्यांकन प्रक्रिया की इक्विटी के बारे में नहीं बताया गया है। ऑडिट ने ये भी पाया कि आईएएफ ने एएसक्यूआर (एयर स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट) को ठीक से परिभाषित नहीं किया। एएसक्यूआर खरीद की प्रक्रिया के दौरान कई बार बदला भी है।
मार्च 2015 में रक्षा मंत्रालय की एक टीम ने 126 राफेल विमानों की खरीद का सौदा रद्द करने की सिफारिश की थी। टीम ने कहा था कि डसाल्ट एविएशन की बोली महंगी थी और ईएडीएस (यूरोपियन एरोनॉटिक्स डिफेंस एंड स्पेस कंपनी) पूरी तरह से आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं थी। टीम ने 2015 के प्रस्ताव में कहा कि डसाल्ट एविएशन राफेल तकनीकी मूल्यांकन स्टेड पर ही अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए था क्योंकि यह आरएफपी की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं था।