नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने विपक्ष की रणनीति को तगड़ा झटका देते हुए सवर्णों को 10% आरक्षण देने का एलान कर दिया है। विपक्षी पार्टियों के साथ समस्या ये है कि अगर वो मोदी सरकार के इस कदम का विरोध करते हैं, तो इसका खमियाजा उन्हें लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है, वहीँ अगर समर्थन करते हैं तो इसका सीधा फायदा चुनावों में ब्रांड मोदी को होगा। कुल मिलाकर देखा जाये तो बीजेपी के लिए किसी मास्टरस्ट्रोक से कम नहीं है। वहीँ सवर्णों को 10% आरक्षण देने को लेकर शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा।
इस विधेयक में प्रावधान किया जा सकता है कि जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपये से कम और जिनके पास पांच एकड़ से कम कृषि भूमि है, वे आरक्षण का लाभ ले सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि ऐसे लोगों के पास नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए।
एक सूत्र ने बताया, ”आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे लोगों को दिया जाएगा जो अभी आरक्षण का कोई लाभ नहीं ले रहे.”प्रस्तावित कानून का लाभ ब्राह्मण, राजपूत (ठाकुर), जाट, मराठा, भूमिहार, कई व्यापारिक जातियों, कापू और कम्मा सहित कई अन्य अगड़ी जातियों को मिलेगा। सूत्रों ने बताया कि अन्य धर्मों के गरीबों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा।
प्रस्तावित आरक्षण अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) को मिल रहे आरक्षण की 50 फीसदी सीमा के अतिरिक्त होगा, यानी ”आर्थिक रूप से कमजोर” तबकों के लिए आरक्षण लागू हो जाने पर यह आंकड़ा बढ़कर 60 फीसदी हो जाएगा।