नई दिल्ली : मीडिया के सामने व जनसभा को संबोधित करते हुए रैली में पीएम मोदी और बीजेपी के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाने वाले व कड़े सवाल पूछने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी का 16वीं लोकसभा का रिपोर्ट कार्ड बेहद हीं ख़राब है। जी हाँ, आप ये जानकर हैरान रह जायेंगे कि बाहर मोदी सरकार पर सवालों की झड़ी लगाने वाले राहुल ने लोकसभा में बीते 5 साल में एक भी सवाल नहीं पूछा।
संसद और सांसदों के कामकाज पर केंद्रित वेबसाइट ‘पार्लियामेंट्री बिजनेस डाट काम’ के अध्ययन के मुताबिक तमाम नेता संसद और संसद के बाहर तो खूब सक्रिय दिखे लेकिन सांसद की सबसे प्रमुख जिम्मेदारी सवाल पूछने के मामले में फिसड्डी साबित हुए। कुल 31 सांसद ऐसे हैं जिन्होंने एक भी सवाल पूछना गवारा नहीं समझा। वेबसाइट ‘पार्लियामेंट्री बिजनेस डाट काम’ का लोकार्पण लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने किया था। वेबसाइट ने लोकसभा के बजट सत्र सहित पूरे पांच साल के सभी सत्रों का गहराई से विश्लेषण कर कई रोचक जानकारियां पेश की हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, दिग्गज भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा, समाजवादी दिग्गज मुलायम सिंह यादव और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा जैसे नेताओं में एक समानता है कि इनमें से किसी भी नेता ने लोकसभा के पांच साल के कार्यकाल में एक भी सवाल नहीं पूछा।
लोकसभा में पूछे गए सवालों की बात करें तो ऐसा नहीं है कि सभी सांसद इस मामले में लापरवाह हैं। सुप्रिया सुले, विजय सिंह, मोहिते पाटिल और धनंजय महादिक जैसे सांसद भी हैं जो सवाल पूछने में सबसे आगे हैं। सोलहवीं लोकसभा में कुल 1 लाख 42 हजार से ज्यादा सवाल पूछे गए और इसमें लगभग 93 फीसदी सांसदों की सक्रिय भागीदारी रही। उल्लेखनीय बात यह है कि सर्वाधिक सवाल किसानों की आत्महत्या और उनकी अन्य समस्याओं को लेकर पूछे गए। कुल 171 सांसदों ने किसानों की आत्महत्या पर प्रश्न पूछे। इसके अलावा वित्त, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और रेलवे से सम्बंधित भी कई प्रश्न पूछे गए।
सवालों से ज्यादा सांसदों की रुचि बहस और अन्य संसदीय कामकाज में दिखी और इसमें 94 फीसदी से ज्यादा सांसदों ने भागीदारी दर्ज कराई। इस लोकसभा के पांच सालों में 32,314 बार विभिन्न विषयों पर बहस हुई और भाजपा के बांदा से सांसद भैरो प्रसाद मिश्र 2038 बार बहस में अपनी सक्रिय भूमिका निभाकर सबसे आगे रहे।