नई दिल्ली : एक तरफ जहाँ एग्जाम के समय बच्चों के अभिभावक बच्चों से परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के उम्मीद कर रहे हैं, वहीं अभिभावकों के अरमान पर तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे मोबाइल गेम PUBG पानी फेरने का अकाम कर रहा है। जी हाँ, बच्चों को मोबाइल गेम PUBG की कुछ इस कदर लत लग गयी है कि बच्चे परीक्षा की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं, लिहाज़ा अभिभावकों को बच्चों के भविष्य का डर सता रहा है और लोग भगवान् से दुआ मांग रहे हैं।
करीब 1 साल पहले PUBG गेम एक जापानी थ्रिलर फिल्म बैटल रोयाल से प्रभावित होकर बनाया गया। इसमें सरकार की ओर से छात्रों के एक ग्रुप को जबरन मौत से लड़ने भेजा जाता है। इस गेम में लगभग 100 खिलाड़ी किसी टापू या अनजान युद्धि भूमि पर पैराशूट से छलांग लगाते हैं और हथियार खोजते हैं। खेलते-खेलते बच्चे इसमें इतना खो जाते हैं कि खुद को इसी दुनिया में महसूस करने लगते हैं। इसमें अन्य लोगों से जुड़ने के लिए चैट ऑप्शन भी है, जिससे वह खेलने वाले को एक आभासी दुनिया में ले जाता है। इस गेम में खून-खराबा इतना ज्यादा है कि लगातार गेम खेलने वाले का व्यवहार बदलने लगता है।
मनोरोग विशेषज्ञों की मानें तो बच्चों को गेम की लत लग जाती है, उसे मेडिकल भाषा में ऑब्सेशन कहते हैं। अभिभावक बच्चों को अगर रोकने की कोशिश भी करते हैं तो वह चाहकर भी नहीं रुक पाता है। बचपन में प्यार ज्यादा मिले तो बच्चे को कंडक्ट डिसऑर्डर का खतरा हो जाता है और उसका इलाज न हो तो वह कंडक्ट एंटी सोशल पर्सनैलिटी बन जाता है और वह वारदात को भी अंजाम दे सकता है। मनोचिकित्सक डॉ संजीव त्यागी की मानें तो उनके पास हर दिन 4 से 6 मामले ऐसे आ रहे हैं जिसमें बच्चों को PUBG गेम की लत लगी हुई है।