संतोष कुमार सिंह की रिपोर्ट
चकिया चन्दौली बरसात समय पर न होने से पानी के लिए हाहाकार मच चुका है,गांवों में मेघ को रिझाने के लिए महिलाएं तमाम तरह के उपाय कर रही है,इसी क्रम में क्षेत्र के मूसाखांड गांव में 9 दिवसीय मेंघो को रिझाने के लिये देर रात तक महिलाये गीत गा रही है । बताते चले की क्षेत्र में समय से वर्षा न होने से जहाँ एक ओऱ धान की नर्सरी सुख रही वही पीने के पानी के जल स्रोत 90 प्रतिशत तक सुख गये है ,स्थिति यहा तक आ गई है कि आम एवं अन्य पेड़ सैकड़ो की संख्या में सुख चुके है कभी भी न सूखने वाले कुएं भी जबाब दे गए। इस भयावह स्थिति से निकलने के लिये महिलाएं पारम्परिक गीत गाकर वर्षा कराने का प्रयास कर रही है। जिसमे गीतों की पक्तियां है। “वर्षा वर्षा ये देव मुसलन धार वर्षा” “लाले लाले शेरवा के झुलसल बाल हो” “उतरी परी है मैया लाले बाग में “जैसी गीतों को समूह में गाकर मेघ को रिझाने का प्रयास किया गया।इस दौरान प्रेमशीला देवी के नेतृत्व में मन्ना देवी ,सावत्री, शीला, जीरादेवी,रुचि ,अर्पिता, सांता,इंदा, बेचना देवी ,अनिता, होशिला आदि महिलाएं पांच दिनों से देर रात तक गीत गा रही है।