स्लग योगी सरकार में सुरक्षित नही पत्रकार, आगरा में पत्रकार के साथ मारपीट- लूट

सोनू सिंह की रिपोर्ट :

आगरा : पत्रकारिता अगर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है तो पत्रकार इसका एक सजग प्रहरी है। देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली पत्रकारिता आज़ादी के बाद भी अलग-अलग परिदृश्यों में अपनी सार्थक जिम्मदारियों को निभा रही है। लेकिन मौजूदा दौर में पत्रकारिता दिनोंदिन मुश्किल बनती जा रही है जैसे-जैसे समाज में अत्याचार, भ्रष्टाचार, दुराचार और अपराध बढ़ रहा है, पत्रकारों पर हमले की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। दरअसल, मीडिया और पत्रकारों पर हमला वही करते हैं या करवाते हैं जो इन बुराइयों में डूबे हुए हैं ऐसे लोग दोहरा चरित्र जीते हैं।

इसी दोहरे चरित्र के लोगो ने रविवार देर रात थाना सिकंदरा क्षेत्र में झगड़े की सूचना मिलने पर कबरेज करने गए एक टीवी चैनल के पत्रकार आदित्य मुदगल पर अराजक तत्वों ने हमला कर दिया। बुरी तरह मारपीट के बाद हमलावर पत्रकार आदित्य मुदगल के साथी का कैमरा और मोबाइल छीन कर ले गए।सूचना के काफी देर बाद पहुंची सिकंदरा पुलिस के आने से पहले हमलावर फरार हो गए। पत्रकार आदित्य और उनके दो साथियों के गंभीर चोटें आई हैं। उनका सिकंदरा के एक निजी अस्पताल में उपचार कराया।पत्रकारों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा है कि शहर में आम लोग सुरक्षित नहीं हैं।पत्रकार के साथ मारपीट की घटना की कड़ी निंदा करते हुए आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार किए जाने की मांग की है।

यूपी में पत्रकार, खास तौर पर जनपद या कस्बो के पत्रकार,अपराधियों के निशाने पर क्यों रहता है। जनपद में काम कर रहे पत्रकारों की रिपोर्टिंग अधिकतर स्थानीय स्तर के भ्रष्टाचार, ग्राम पंचायत के फैसलों,ग्राम सभा की गतिविधियों, सड़कों की बदहाली, बिजली की समस्या, स्थानीय अधिकारियों, विधायको के कारनामों और स्थानीय आपराधिक मामलों आदि पर केंद्रित रहती है अक्सर यह देखा गया है कि ख़बरों से बड़े खुलासे होने की संभावनाएं होती हैं.जिससे कलम भ्रष्ट लोगो राह में बाधा उत्तपन्न कर देती है ।

भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव प्राप्त है पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ और पत्रकारों को लोकतंत्र का प्रहरी कहा जाता है जहां एक तरफ पत्रकारिता लोगों में जागरूकता पैदा करके लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है, तो वहीं लोकतंत्र के दूसरे स्तंभों यानी कार्यपालिका और न्यायपालिका पर भी नज़र रखता है. आगरा जनपद के पत्रकारों को अपना काम ईमानदारी से करने का जख्म की शक्ल में मिले, तो इससे न सिर्फ देश की कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में आ जाती है बल्कि यह लोकतंत्र के लिए भी ठीक नहीं है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा कर दी है कि पत्रकारों से अभद्रता पूर्वक व्यवहार करेगा या धमकाने की कोशिश करेगा उस पर ₹50000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही उसे 3 साल तक की जेल हो सकती है। योगी ने कहा कि धमकी के आरोप में गिरफ्तार लोगों को आसानी से जमानत नहीं मिलेगी इसलिए पत्रकारों से किसी भी प्रकार की अभद्रता न करें और पत्रकारों को सम्मान देना महाराष्ट्र मीडिया कर्मियों की संपत्ति का नुकसान पहुंचा गया था। पत्रकारों पर हमले के अधिकांश मामले सामने आते ही रहते हैं।

हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि अगर किसी पत्रकार को किसी भी तरह की परेशानी होती है तो उन से तुरंत संपर्क करें धमकाने वाले व्यक्तियों को 24 घंटे के अंदर जेल भेजा जाएगा। सीएम योगी ने सख्त लहजे में कहा पत्रकारों से मान सम्मान से बात करिए वरना आपको महंगा पड़ सकता है।

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