आलेख : ओ.पी.मिश्र
लखनऊ : किसी भी देश में ईश्वर के अस्तित्व को माना जाये या न माना जाये लेकिन इतना तय है कि हमारे देश भारत में ईश्वर का अस्तित्व यकीनन है क्योंकि यहाँ न तो कोई ढंग से काम करना चाहता और न ही उसे अपनी किसी जिम्मेदारी का अहसास है। मैं समझ नहीं पाता हूँ कि जिस देश के लोग अपने ही जिम्मे का काम पूरा नहीं करना चाहते वो देश तरक्की कैसे कर रहा है? जिस देश में पग-पग पर भ्रष्टाचार है तथा कोई भी काम बगैर पैसे, जुगाड़ और जोड़-तोड़ के नहीं हो पा रहा है वह देश आगे कैसे बढ रहा है। जिस देश में जाति और धर्म के नाम पर लोग वोट करते हैं वहां विकास कैसे हो रहा है? जिस देश का हर नौजवान जुगाड़ करके चैम्बर में बैठने वाली नौकरी चाहता है वह भी सरकारी नौकरी ताकि जब चाहे तब जिन्दाबाद-मुर्दाबाद का नारा लगा सके वह देश विश्व गुरु बनने का सपना किस आधार पर देख रहा है? जिस देश के नौजवान की प्राथमिकता अच्छा जाब और और अच्छी प्राइवेट नौकरी नहीं बल्कि सरकारी चपरासगीरी है वह देश किसके सहारे आगे बढ रहा है। जिस देश में चपरासी की नौकरी के लिए पीएचडी और बीटेक,एमबीए डिग्री धारी लोग भीड़ लगायें वह क्या करेंगे? वे खुद नहीं जानते, तभी तो वे कहते हैं सब भगवान करेगा।
वाह भगवान, जब सब तुझे ही करना तो फिर हम माथा-पच्ची क्यों करें? जिस देश के लोग सिर्फ सब्सिड़ी चाहते हैं, सब आरक्षण चाहते हैं, सब मुफ्त की सुविधा चाहते हैं और ये भी चाहते हैं कि सारा काम सरकार करे, सारी जिम्मेदारी सरकार उठाये, घरों से कूडा उठाने से लेकर उनको इम्तहान में पास कराने और फिर सरकारी नौकरी देने का काम सरकार करे? फिर आप ही बताइए कि हमारे देश में भगवान है कि नहीं है? मैं तो कहूॅगा कि यकीनन है और अगर है नहीं तो देश चल कैसे रहा है। जिस देश का हर व्यक्ति बगैर किसी अच्छी शिक्षा और ज्ञान वह भी बगैर मेहनत किये धनवान बनना चाहता है, उस देश में अगर भगवान नहीं तो कहां है? जिस देश के स्नातक और परास्नातक छात्रों को ये पता नहीं कि जो माइल स्टोन सड़क के किनारे लगे होते है उनमें ऊपर का रंग अलग-अलग क्यों होता है? या शासन और सरकार में क्या फर्क होता है? वह देश अगर भगवान भरोसे नहीं चल रहा है तो किसके भरोसे चल रहा है? मैं तो चकरा गया हूँ। वाह रे ईश्वर और वाह रे तेरी माया।