नई दिल्ली : एक तरफ जहाँ बीजेपी 2019 की तैयारियों में जुटी है, वहीँ एससी-एसटी एक्ट को लेकर पार्टी को सवर्णों के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है। आलम ये है कि अब पार्टी के अंदर हीं इस एक्ट को लेकर घमासान शुरू हो गया है। मध्य-प्रदेश में आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहीँ इससे पहले बीजेपी व शिवराज सरकार को बड़ा झटका लगा है। एससी-एसटी एक्ट को लेकर विरोध दर्ज़ करते हुए 24 नेताओं ने पार्टी से अपना दामन छुड़ा लिया है।
पहले शिवराज सरकार में केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त पदमा शुक्ला ने त्यागपत्र देकर कांग्रेस में शामिल हुई। इसके बाद कटनी में संजय पाठक के खिलाफ इस्तीफों की झड़ी लग गयी। देखते ही देखते भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी को त्यागपत्र दिया। भाजपा के 24 नेताओं द्वारा त्यागपत्र की खबर से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया।
प्रदेश के कद्दावर भाजपा नेता रघुनंदन शर्मा ने भाजपा से इस्तीफा दिया था जिसके बाद से एससी एसटी के विरोध में प्रदेश के कई नेताओं में निराशा देखी गयी है। रघुनन्दन शर्मा की प्रदेश के कद्दवर नेताओं में गिनती होती है, वे भाजपा होशंगाबाद जिले से 2 बार अध्यक्ष रह चुके हैं यानि भाजयुमो अध्यक्ष, इसके अलवा ये सीएम शिवराज सिंह के काफी नजदीकी माने जाते हैं। और तो और ये केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज के चुनाव में प्रभारी भी रह चुके हैं।
मध्यप्रदेश में ही विस चुनाव में टिकट की दावदारी कर रहे श्योपुर के भाजपा के जिला कोषाध्यक्ष नरेश जिंदल सहित तीन अन्य ने पार्टी और पद दोनों से इस्तीफा दे चुके हैं। केंद्र सरकार के लाए गए एससी-एसटी एक्ट के अध्यादेश के विरोध में उन्होंने यह इस्तीफा दिया।
बतादें कि विधानसभा चुनाव 2018 नजदीक है ऐसे में भाजपा से सदस्यों का इस्तीफा लेना भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। जानकारों का यह भी मानना है कि चुनाव से पहले जोरों पर जोड़ तोड़ की राजनीति चल रही है। भाजपा को एससीएसटी के विरोध का सामना महंगा पड़ेगा।