नई दिल्ली : सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेशवर राव को सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह के जांच अधिकारी का सीआरपीएफ में तबादला करने के मामले में कड़ी फटकार लगायी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए कहा कि अदालत के एक कोने में चले जाएं और कार्यवाही खत्म होने तक वहां बैठे रहें। न्यायालय ने राव, सीबीआई के अभियोजन निदेशक को अदालत की आज की कार्यवाही खत्म होने तक हिरासत में रहने की सजा सुनाई और उन पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया।
सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राव और सीबीआई के विधि अधिकारी ने अदालत की अवमानना की है। बिना इजाजत जांच अधिकारी का तबादला करना यदि यह अवमानना नहीं है तो क्या है? न्यायालय ने कहा – उनका रवैया कुछ ऐसा रहा है कि मुझे जो करना था, वह मैंने किया है। वहीं सीबीआई की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल अदालत के सामने पेश हुए और उन्होंने माना कि यह गलतियों की श्रृंखला थी।
वेणुगोपाल ने अदालत से कहा कि उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी है और उन्होंने ऐसा जानबूझकर नहीं किया। अदालत ने राव को कड़ी फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, ‘अदालत के आदेश की अवमानना हुई है। यह उनके (पूर्व अंतरिम सीबीआई निदेशक एम नागेश्वर राव) करियर पर एक निशान होगा।’ इसपर वेणुगोपाल ने कहा, ‘उनका 32 सालों का बेदाग करियर रहा है। कृपया उनकी तरफ दयालु दृष्टिकोण को अपनाते हुए माफी को स्वीकार कर लें। राव ने खुद को अदालत की कृपा पर छोड़ा है।’