सीबीआई के डायरेक्टर पद से बर्खास्त हुए आलोक वर्मा, अब मिली ये नई जिम्मेदारी

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को बड़ा झटका देते हुए आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद पर बहाल कर दिया था, लेकिन 48 घंटे के भीतर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से बर्खास्त कर दिया है। अब आलोक वर्मा को सिविल डिफेंस, फायर सर्विसेस और होम गार्ड विभाग का महानिदेशक बना दिया गया है जबकि नागेश्वर राव दोबारा सीबीआई के अंतरिम निदेशक बना दिए गए हैं।

सीबीआई के 55 साल के इतिहास में यह ऐसा पहला मौका रहा जब सीबीआई के डायरेक्टर को हटाने के लिए उस सेलेक्ट कमेटी को एक्शन लेना पड़ा जो सीबीआई डायरेक्टर को नियुक्त करती है। इस सेलेक्ट कमेटी में पीएम मोदी के अलावा सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अर्जुन सीकरी और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे। 7 लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री के घर क़रीब सवा 2 घंटे तक बैठक चली जिसमें आलोक वर्मा को लेकर सीवीसी की उस रिपोर्ट पर विचार किया गया, जिसमें उन पर गंभीर आरोप हैं।

फैसला हुआ कि आलोक वर्मा का डायरेक्टर पद पर रहना सीबीआई की छवि के लिए ठीक नहीं होगा। खास बात ये कि जैसी उम्मीद थी वैसा ही हुआ। मीटिंग के दौरान हमेशा की तरह कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा को हटाने का विरोध किया और दलील दी कि उन्हें सीवीसी रिपोर्ट पर जवाब देने का मौका मिले लेकिन पीएम मोदी और जस्टिस सीकरी का मत था कि आलोक वर्मा का डायरेक्टर पद पर बने रहना सीबीआई के हित में नहीं होगा। ऐसे में 2:1 से फैसला आलोक वर्मा के खिलाफ में गया।

प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली सेलेक्ट कमेटी ने सीवीसी की जिस रिपोर्ट को आधार बनाकर आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर पद से हटाया उस 8 पेज की रिपोर्ट में आलोक वर्मा पर ना सिर्फ गंभीर आरोप हैं बल्कि साफ लिखा है कि उनके खिलाफ जो शिकायतें मिली हैं और जो सबूत दिए गए हैं उनकी जांच जरूरी है और यही वजह है कि आलोक वर्मा का सीबीआई डायरेक्टर पद पर रहना ठीक नहीं होगा।

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